बढ़ते ईंधन की कीमतों या फिर बढ़ते प्रदूषण के कारण जिस तरह से लोगों का रुझान EV (इलेक्ट्रिक वाहन) की तरफ बढ़ रहा है है, आगे आने वाले सालों में इनकी मांग भी बढ़ेगी। साथ ही आपको सड़कों पर इनकी संख्या में भी दिन-रोज़ बढ़ोतरी दिखाई देगी। धीरे-धीरे कंपनियां गाड़ी और दुपहिया वाहन, दोनों ही EV के रूप में बना रही हैं। ऐसे में इस छात्र द्वारा किया ये कारनामा बहुत ज़्यादा चर्चा में है। इसने केवल एक चार्ज में 185 किलोमीटर तक चलने वाली कार को खुद बनाया है, जो कि इस दौर में बेहद महत्वपूर्ण आविष्कार साबित हो सकता है। आइये जानते हैं कि पूरी कहानी क्या है। ये पढ़ें: इलेक्ट्रिक स्कूटर और कारों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मिल रही सब्सिडी
मध्यप्रदेश के छात्र ने बनायी किफ़ायती इलेक्ट्रिक कार
अब जब इलेक्ट्रिक व्हीकल का चलन शुरू हो गया है, ऐसे में मध्य प्रदेश के इस शख्स ने खुद छोटी से छोटी चीज़ पर काम करके अपनी एक इलेक्ट्रिक कार बनायी है। इस समय पर खुद ऐसा आविष्कार करना, लोगों को इस नयी टेक्नोलॉजी की तरफ और भी जागरूक करेगा। मध्य प्रदेश, सागर के रहने वाले, हिमांशु भाई पटेल एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र हैं, जिन्होंने अपने इस अविष्कार या इलेक्ट्रिक कार को बनाने में तकरीबन पांच महीने तक कड़ी मेहनत की है। इस इलेक्ट्रिक कार में पांच लोग सवार हो सकते हैं और नीचे दी गयी तस्वीर में आप देख सकते हैं कि ये काफी हद तक एक SUV या जीप जैसी दिखती है। इस कार को एक बार चार्ज करने में लगभग 4 घंटे का समय लगता है और उसमें ये 185 किलोमीटर तक चल जाती है। ये गाड़ी 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार तक ही चल सकती है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि हिमांशु के अनुसार इस गाड़ी को फुल चार्ज करने में केवल 30 रूपए का खर्च आता है। इसके अलावा उन्होंने बताया है कि इसमें आपको एक रिमोट कंट्रोलर फ़ीचर भी मिलेगा जिससे आप ऑन/ऑफ़ कर सकेंगे। साथ ही इसमें रिवर्स मोड, इलेक्ट्रॉनिक स्पीड मीटर, बैटरी पावर बताने वाला मीटर और एक चोरी से बचने के लिए अलार्म (एंटी-थेफ़्ट अलार्म) भी दिया गया है। ये पढ़ें: अपनी पुरानी डीज़ल कार को बदलें एक इलेक्ट्रिक व्हीकल में; यहां जानें कैसे इस मेहरून रंग की इलेक्ट्रिक कार को इन्होंने बहुत अच्छे से डिज़ाइन किया है। किफ़ायती होने के साथ ये एक महिंद्रा की थार जीप से मिलता जुलता लुक दे रही है। साथ ही इसमें 5 सीटों का होना भी काबिल-ए-तारीफ़ है। इसमें आपको सामने बॉक्सी सा लुक मिलेगा और सामने कोई ग्लास नहीं है, जबकि वो काफी ज़रूरी है। हालांकि यहां जो फ्लैट मेटल पैनलों का इस्तेमाल किया गया है, उनका कारण है इसकी आसान और किफ़ायती बनावट। हिमांशु का दावा है कि इस प्रोजेक्ट को बनाने में उन्हें केवल 2 लाख का खर्च आया है। हालांकि ये एक उनका निजी प्रोजेक्ट है, अब ये कमर्शियल हो पाता है या कंपनियां इसे अपनाती हैं, ये बताना अभी ज़रा मुश्किल है।
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